वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई: सरकार, वकील और न्यायाधीशों के बीच तीखी बहस, फैसला सुरक्षित

राजू वारसी

स्थान: सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया (कमरा नंबर —1)
तारीख़: 22 मई 2025

— सुबह 11:57 बजे: सुनवाई शुरू हुई

भारत सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें शुरू कीं.

उन्होंने कहा कि जब संसद ने किसी कानून को वैध तरीके से पारित किया हो, तो उस पर रोक लगाने की कोई वजह नहीं बनती.

उन्होंने यह भी कहा, “जब कोर्ट को तीन दिन तक सुनवाई करनी पड़ी, तो यह दिखाता है कि उस कानून में पहली नजर में कोई असंवैधानिक बात नहीं है.”


— दोपहर 12:06 बजे: आदिवासी मुस्लिमों की अलग सांस्कृतिक पहचान है, उनकी ज़मीन वक्फ नहीं हो सकती: मेहता

मेहता ने कहा कि एक बार ज़मीन वक्फ हो गई तो वह हमेशा के लिए हो जाती है, इसे वापस नहीं लिया जा सकता. इसलिए अनुसूचित जनजातियों की ज़मीन को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता.

उन्होंने संसद की संयुक्त समिति (JPC) की रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि आदिवासी मुस्लिमों की अपनी एक अलग सांस्कृतिक पहचान है. इसी आधार पर यह ज़मीन वक्फ नहीं हो सकती.


— दोपहर 12:11 बजे: “इस्लाम, इस्लाम ही है”: जस्टिस मसीह ने मेहता की बात को खारिज किया

जस्टिस ऑगस्टीन मसीह ने मेहता के इस तर्क से असहमति जताई कि आदिवासी मुस्लिमों की अलग पहचान है. उन्होंने कहा, “इस्लाम, इस्लाम है. धर्म एक ही है.”


— दोपहर 12:21 बजे: आदिवासी मुस्लिमों पर वक्फ बनाने की रोक एक सुरक्षा उपाय है: मेहता

मेहता ने कहा कि सरकार आदिवासी ज़मीन की रक्षा के लिए उस पर मालिकाना हक बदलने से रोक लगाती है. वरना, कोई भी वक्फ का मैनेजर (मुतवल्ली) बनकर उसका गलत फायदा उठा सकता है.


— दोपहर 12:34 बजे: 2025 कानून के खिलाफ आदिवासी संगठनों ने कोई याचिका नहीं दी: मेहता

मेहता ने कहा कि अभी तक किसी आदिवासी व्यक्ति ने इस कानून के खिलाफ याचिका नहीं डाली है.
उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून के समर्थन में भी याचिकाएं हैं.

“अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन सिर्फ उसी के आधार पर कानून पर रोक नहीं लगाई जा सकती.”


— दोपहर 12:39 बजे: हम 1995 के वक्फ एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाएं नहीं सुनेंगे: चीफ जस्टिस

CJI गवई ने साफ़ कर दिया कि कोर्ट सिर्फ 2025 संशोधन पर सुनवाई करेगा, 1995 के कानून पर नहीं.

इसके बाद मेहता ने अपनी बहस खत्म की.


— दोपहर 12:43 बजे: वक्फ बाय यूज़र इस्लाम की मूल परंपरा नहीं: द्विवेदी

राजस्थान की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि “वक्फ बाय यूज़र” (लंबे समय से इस्तेमाल से वक्फ माने जाने वाली ज़मीन) इस्लाम की मूल परंपरा नहीं है, बल्कि ज़मीन कब्ज़ा कर लेने का तरीका भर है.


— दोपहर 1:08 बजे:

दोपहर के भोजन के लिए ब्रेक

— दोपहर 3:13 बजे: सुनवाई फिर से शुरू

कपिल सिब्बल ने जवाबी बहस शुरू की. उन्होंने कहा कि सेक्शन 3C के तहत, जैसे ही सरकारी अधिकारी जांच शुरू करता है, वक्फ की हैसियत खत्म हो जाती है—यहां तक कि अगर बाद में साबित हो जाए कि ज़मीन सरकारी नहीं थी.


— दोपहर 3:15 बजे: “अगर कोई और विवाद करे तो मुझे क्यों भुगतना पड़े”: सिब्बल

सिब्बल बोले, “अगर कोई मेरी वक्फ संपत्ति पर सवाल उठाए, तो मुझे कोर्ट क्यों जाना पड़े? सेक्शन 3C में कहा गया है कि जांच शुरू होते ही वक्फ की मान्यता खत्म हो जाती है. ये मुझे अनावश्यक मुकदमे में धकेलता है.”


— दोपहर 3:18 बजे: दफन इस्लाम का आवश्यक हिस्सा है: सिब्बल

सिब्बल ने कहा कि वक्फ संपत्ति 100 साल से कब्रिस्तान है, जो धर्म का आवश्यक हिस्सा है. अब सरकार कहती है कि ये ज़मीन सरकारी है—तो क्या इससे धार्मिक अधिकार छिन जाएंगे?


— दोपहर 3:20 बजे: वक्फ सर्वे करना राज्यों की जिम्मेदारी थी: सिब्बल

CJI ने पूछा कि 1923 से वक्फों का पंजीकरण अनिवार्य था, फिर रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं हुआ?

सिब्बल ने कहा, “यह राज्यों की जिम्मेदारी थी कि वे सर्वे कराते. 1954 से अब तक सिर्फ एक राज्य ने पूरा सर्वे किया है. अब समुदाय को इसकी सजा क्यों मिले?”


— दोपहर 3:23 बजे: क्या सिर्फ अपंजीकृत होने से वक्फ की हैसियत छीनी जा सकती है?

सिब्बल बोले, “कब्रिस्तान धार्मिक स्थल है, 100 साल से इस्तेमाल हो रहा है. क्या सरकार कह सकती है कि अब ये मेरी ज़मीन है?”

“क्या सिर्फ इसलिए कि पंजीकरण नहीं हुआ, वक्फ की मान्यता खत्म हो सकती है? ये न्यायसंगत नहीं है.”

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— दोपहर 3:29 बजे: सिब्बल ने सेक्शन 3D को चुनौती दी

सिब्बल बोले, “जब बिल JPC से आया तब सेक्शन 3D नहीं था. इसे बाद में जोड़ दिया गया. 3D कहता है कि अगर कोई वक्फ ‘पुरातात्विक धरोहर’ घोषित कर दिया गया, तो उसका मालिकाना हक चला जाएगा.”


— दोपहर 3:32 बजे: सेक्शन 3D मेरी मिल्कियत छीन लेता है: सिब्बल

CJI बोले कि वक्फ प्रबंधन स्मारकों का गलत इस्तेमाल कर रहा है.

इस पर सिब्बल बोले, “ऐसी स्थिति के लिए दूसरे कानून हैं. लेकिन आप इस बहाने से मेरी संपत्ति छीन नहीं सकते.”


— दोपहर 3:33 बजे: वक्फ इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है: सिब्बल

सिब्बल बोले, “वक्फ हमारे धर्म का हिस्सा है. दान इस्लाम की बुनियादी परंपरा है और यह आख़िरत के लिए होता है.”


— दोपहर 3:41 बजे: धवन ने मेहता की दलीलों को चुनौती दी

वरिष्ठ वकील राजीव धवन बोले, “दान इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा है कि वक्फ मुस्लिम समाज के धार्मिक और सामाजिक जीवन से गहराई से जुड़ा है.”


— दोपहर 3:45 बजे: अनुच्छेद 26 हर धार्मिक समुदाय को अपनी संपत्ति का प्रबंधन करने का अधिकार देता है: धवन

धवन ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 26(d) धार्मिक संस्थाओं को अपनी संपत्ति कानून के अनुसार चलाने का अधिकार देता है.


— दोपहर 4:01 बजे: वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस शुरू की

सिंघवी बोले, “वक्फ बाय यूज़र कोई कानून ने नहीं बनाया, वह पहले से प्रचलित धार्मिक अवधारणा थी. कानून सिर्फ उसे मान्यता देता है, बनाता नहीं है.”


— दोपहर 4:24 बजे: सीनियर एडवोकेट हुज़ेफ़ा अहमदी ने सरकार की दलील को खारिज किया

अहमदी बोले, “सेक्शन 3E मुस्लिम आदिवासियों को वक्फ बनाने के अधिकार से वंचित करता है. अगर वे ट्रस्ट बना सकते हैं तो वक्फ क्यों नहीं? यह भेदभाव है.”


— दोपहर 4:34 बजे: सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक पर फैसला सुरक्षित रखा, सुनवाई पूरी

कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अंतरिम रोक की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा. आज की सुनवाई समाप्त.


नोट: ये पोस्ट ‘द हिन्दू’ के लाइव रिपोर्टिंग के आधार पर लिखा गया है.

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